प्रो. बिपिन चन्द्र, भारतीय इतिहासकार, आधुनिक भारत के आर्थिक एवं राजनीतिक इतिहास, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन और महात्मा गांधी में विशिष्ट थे।

प्रो. बिपिन चंद्र – भारतीय इतिहासकार

बिपिन चन्द्र एक भारतीय इतिहासकार थे। वे आधुनिक भारत के आर्थिक और राजनीतिक इतिहास में विशिष्ट थे। वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में विशिष्ट थे और उन्हें महात्मा गांधी पर एक प्रमुख विद्वान माना जाता है। बिपन चंद्र जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में आधुनिक इतिहास के एक प्रतिष्ठित प्रोफेसर थे।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

बिपिन चंद्र का जन्म 27 मई 1928 को कांगड़ा, पंजाब, ब्रिटिश भारत (अब हिमाचल प्रदेश) में हुआ था। उन्होंने अपनी पढ़ाई उर्दू भाषा में की क्योंकि उस समय उर्दू में ब्रिटिश-भारत के पंजाब में पढ़ाई करवाई जाती थी। उन्होंने 1946 में फॉर्मैन क्रिश्चियन कॉलेज, लाहौर से स्नातक की पढाई की। बाद में उन्होंने स्नातक और स्नातकोत्तर पूरा करने के लिए स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय, कैलिफोर्निया, अमेरिका में अध्ययन किया।

1950 के दशक की शुरुआत में बिपिन चंद्र को दिल्ली के हिंदू कॉलेज में इतिहास में व्याख्याता (लेक्चरर) नियुक्त किया गया। 1963 में उन्होंने अपनी पीएचडी दिल्ली विश्वविद्यालय से पूरी की।

बिपिन चंद्र जी की पेशेवर ज़िंदगी

बिपन चंद्र ने हिंदू कॉलेज, दिल्ली में कई वर्षों तक व्याख्याता के रूप में पढ़ाया। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की स्थापना के तुरंत बाद वह वहां इतिहास के प्रोफेसर बन गए। सेवानिवृत्ति के बाद, उन्हें वहां एक एमिरिटस प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किया गया। उन्होंने जर्नल इंक्वायरी की स्थापना की और इसके संपादकीय बोर्ड के सदस्य थे।

चंद्रा 1985 में भारतीय इतिहास कांग्रेस के अनुभागीय अध्यक्ष और बाद में महासचिव बने। वह सेंटर फॉर हिस्टोरिकल स्टडीज, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के अध्यक्ष थे। 1993 में, वे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सदस्य बने। वह 2004 से 2012 तक राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, नई दिल्ली के अध्यक्ष थे। राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत के अध्यक्ष के रूप में, उन्होंने कई नई श्रृंखलाएं शुरू कीं जैसे कि लोकप्रिय सामाजिक विज्ञान, आत्मकथा, एफ्रो-एशियाई देशों की श्रृंखला, भारतीय प्रवासी अध्ययन, आदि। अपनी सेवानिवृत्ति के वर्षों में, उन्हें 2007 में एक राष्ट्रीय अनुसंधान प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किया गया था।

बिपिन चंद्र जी द्वारा अनुसंधान

आजादी के बाद से भारत में कम्युनिस्ट आंदोलन में चंद्र सबसे आगे थे। 1977 में भारत में सत्ता में आई नई केंद्र सरकार द्वारा उनकी सह-लिखित पुस्तक, फ्रीडम स्ट्रगल को सेंसर किया गया था।

चंद्रा ने इतिहासकारों जैसे नूरुल हसन, राम शरण शर्मा, सर्वपल्ली गोपाल, सतीश चंद्र, रोमिला थापर, इरफान हबीब, बरुण दे, और अर्जुन देव और उनके कुछ छात्रों, जैसे मृदुला मुखर्जी, आदित्य मुखर्जी, सुचेता महाजन और विशालाक्षी मेनन के साथ सहयोग किया।

प्रमुख प्रकाशित पुस्तकें

  1. भारत में आर्थिक राष्ट्रवाद का उद्भव और विकास (अनामिका पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स प्रा॰ लि॰, नयी दिल्ली)
  2. आधुनिक भारत में उपनिवेशवाद और राष्ट्रवाद (अनामिका पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स प्रा॰ लि॰, नयी दिल्ली)
  3. आधुनिक भारत में सांप्रदायिकता (हिंदी माध्यम कार्यान्वय निदेशालय, दिल्ली विश्वविद्यालय)
  4. आधुनिक भारत का इतिहास ओरियंट ब्लैकस्वॉन प्राइवेट लिमिटेड हैदराबाद (एनसीईआरटी से प्रकाशित ‘आधुनिक भारत ‘ का अनुक्रमणिकायुक्त नवीन संशोधित संस्करण)
  5. भारत का स्वतंत्रता संघर्ष (मृदुला मुखर्जी, आदित्य मुखर्जी, क॰न॰ पनिकर एवं सुचेता महाजन के साथ लिखित; हिंदी माध्यम कार्यान्वय निदेशालय, दिल्ली विश्वविद्यालय)
  6. आजादी के बाद का भारत (मृदुला मुखर्जी एवं आदित्य मुखर्जी के साथ लिखित; हिंदी माध्यम कार्यान्वयन निदेशालय, दिल्ली)

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