खंडेराव होलकर (1723-1754 CE) होलकर वंश के संस्थापक मल्हार राव होल्कर और गौतम बाई के इकलौते पुत्र थे।
खंडेराव होलकर का जीवन
खंडेराव मल्हार राव होल्कर के इकलौते पुत्र थे। इसलिए, उनके राजा बनने में कोई शक नहीं था। अहिल्याबाई होल्कर उनकी पत्नी थीं। उनका एक बेटा, मालेराव और एक बेटी, मुक्ताबाई थी।
अहिल्याबाई ने धीरे-धीरे खंडेराव की सोच को बदल दिया और उन्हें अपने राज्य के काम के प्रति सजग बना दिया। साथ-ही -साथ उनके जिद्दी स्वाभाव को भी बदला। वह महाकाव्यों से खंडेराव को कहानियां कहानियां सुनाया करती थी, ताकि वह अपने कर्तव्य को ईमानदारी से करने के लिए प्रेरित हो सके।
मौत
1754 में मुगल बादशाह अहमद शाह बहादुर के मीर बख्शी इमाद-उल-मुल्क की कमान पर खंडेराव ने भरतपुर राज्य के जाट महाराज सूरज मल के कुम्हेर किले की घेरा-बंदी कर दी, जो अहमद शाह के प्रतिद्वंद्वी सफदर जंग के साथ थे।
जब खांडेराव कुम्हेर की लड़ाई में एक खुली पालकी पर अपने सैनिकों का निरीक्षण कर रहे थे, तो उन्हें जाट सेना की तोप से मार दिया गया।
खंडेराव के सम्मान में, जाट महाराजा सूरज मल ने डेग के पास कुम्हेर में उनके दाह संस्कार स्थल पर हिंदू शैली में एक छत्र का निर्माण किया।
खंडेराव होलकर की मृत्यु के बाद
उनकी मृत्यु के बाद, उनकी 10 पत्नियों में से 9 ने सती हो गयी। मल्हार राव होल्कर ने खांडेराव की पहली पत्नी अहिल्या बाई को सती होने से रोका।
1766 में खंडेराव की मृत्यु के 12 साल बाद, मल्हार राव होलकर की भी मृत्यु हो गई। माले राव होल्कर, मल्हार राव होल्कर के पोते और खांडेराव के इकलौते बेटे, अहिल्याबाई होल्कर के अधीनता में, कम उम्र में इंदौर के शासक बन गए। माले राव की मृत्यु के बाद, अहिल्याबाई इंदौर की शासक बनीं।
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